Kumar Rahman

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sholagarh @ 34 kilometer

जासूसी उपन्यास शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर

कुमार रहमान

 

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डिस्क्लेमरः उपन्यास शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर के सभी पात्र, घटनाएं और स्थान झूठे हैं... और यह झूठ बोलने के लिए मैं शर्मिंदा नहीं हूं।

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भाग एक

 

बिल्ली की चोरी

कम से कम सार्जेंट सलीम ने ऐसी खूबसूरत लड़की अपनी जिंदगी में पहले नहीं देखी थी। सबसे सुंदर उस लड़की की आंखें थीं। ऐसा लगता था कि ख्वाब देख रही हों। शायद ऐसी ही आंखों को शायरों ने ख्वाबावर आंखें कहा होगा। थोड़ा लंबा सा किताबी चेहरा। उस पर बाल की एक लट मालती की बेल की तरह झूल रही थी... जिसे वह बार-बार हाथों से हटा रही थी। चेहरे की रंगत ऐसी थी, जैसे दूध में हल्का सा गुलाल मिला दिया गया हो। भवें किसी कमान की तरह खिंची हुईं। आंखों के तीर वहीं से छोड़े जाते थे। सार्जेंट सलीम पलकें झपकाए बिना एक टक उसे देखे जा रहा था।

 

आज सनडे था और होटल सिनेरियो की आज की थीम थी मिस्ट्री। सिनेरियो की यही खास बात थी। हर सनडे को होटल की कोई खास थीम होती थी। उस थीम के हिसाब से ही होटल को बाहर से लेकर अंदर तक नया लुक दिया जाता था।

 

आज होटल की बाहरी इमारत पर मिस्ट्री थीम के मुताबिक ही लाल और नीली रोशनी डाली जा रही थी। होटल में घुसते ही झींगुरों की झनकार पूरे माहौल को मिस्ट्रीरियस बना रही थीं। यह आवाज साउंड सिस्टम से निकाली जा रही थी। बड़ी-बड़ी मूंछों वाला गेट का दरबान भी रहस्यमयी लग रहा था।

 

होटल का मैनेजमेंट अपने परमानेंट कस्टमर को तीन दिन पहले ही थीम के बारे में बता देता था। उस दिन यहां ज्यादातर लोग उसी थीम के मुताबिक ही आते थे।

 

सार्जेंट सलीम भी यहां का रेगुलर कस्टमर था। वह भी थीम के हिसाब से अपनी पर्सियन कैट के साथ यहां आया था। उसने काले सूट पर फेल्ट हैट लगा रखी। उसने हैट से अपना आधा चेहरा ढक रखा था।

 

सार्जेंट सलीम के साथ आई बिल्ली पूरी तरह से काली थी। अलबत्ता उसकी आंखें नीली थीं। आम तौर पर पर्सियन बिल्लियों की आंखें पीली होती हैं। नीली आंखों वाली पर्सियन बिल्लियां रेयर होती हैं। यही वजह है कि उनकी कीमत पीली आंखों वाली बिल्लियों से कहीं ज्यादा होती है। सलीम की बिल्ली का नाम लूसी था।

 

उसके गले में पड़े पट्टे पर सोने की कढ़ाई की हुई थी। पट्टे पर उसका नाम लूसी भी लिखा हुआ था। इस पट्टे से चांदी की जंजीर बंधी हुई थी। एक कुर्सी पर सार्जेंट सलीम बैठा हुआ था और दूसरी पर बिल्ली आराम कर रही थी।

 

वह खूबसूरत लड़की बड़ी बेतकल्लुफी से बिल्ली को गोद में उठाकर उसी सीट पर बैठ गई। लड़की बिल्ली के लंबे रेशमी बालों में उंगलियां फेर रही थी और प्यार से उसे पुचकार रही थी। बिल्ली दुम हिलाने लगी।

 

दिलचस्प बात यह थी कि लड़की ने एक बार भी सलीम की तरफ नहीं देखा था। इसके उलट सलीम लगातार उस लड़की को ही देखे जा रहा था। वह उसे कालिदास के किसी नाटक की नायिका लग रही थी।

 

अभी सार्जेंट सलीम उससे बात शुरू करने के बारे में सोच ही रहा था कि एक नौजवान आ पहुंचा और उसने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, चलो डार्लिंग! अभी टाइम है.... कुछ देर बाद लौटकर आते हैं।

 

लड़की ने लूसी को कुर्सी पर बहुत आहिस्ता से बैठा दिया। जैसे वह शीशे की हो और हल्का सा जर्ब लगते ही टूट जाएगी। सार्जेंट सलीम उसे जाते हुए देखता रहा। उसने एक भरपूर नजर डायनिंग हाल पर डाली। अभी बहुत भीड़ नहीं हुई थी। तमाम सीटें खाली थीं। वह जरा जल्दी आ गया था।

 

उसने जेब से पाइप निकाला और उसमें वान गॉग ब्रैंड का तंबाकू भरने लगा। तंबाकू की खुश्बू आसपास फैल गई। वान गॉग, पाइप में पीने वाली खुश्बूदार तंबाकू होती है। पाइप जला कर वह हल्के-हल्के कश लेने लगा।

 

सलीम ने कुछ कश लेने के बाद पाइप की राख और बाकी बची तंबाकू ऐश ट्रे में झाड़ दी। उसे पाइप पीने में भी मजा नहीं आ रहा था। उसका मन बहुत उचाट हो गया था।

 

कुछ देर यूं ही बैठे रहने के बाद वह उठ खड़ा हुआ। उसने बिल्ली की जंजीर हाथों में थामी। लूसी भी जैसे बोर हो रही हो। वह भी तुरंत कुर्सी से कूदकर नीचे आ गई। सलीम डायनिंग हाल से बाहर आ गया।

 

उसने पार्किंग से मिनी बाहर निकाली और  मेन रोड पर आ गया। यह एक कन्वर्टिबल कार थी। यानी उसकी छत को कभी भी एक बटन दबाकर फोल्ड किया जा सकता था। सलीम ने बाहर निकलते ही कार की छत हटा दी। लूसी उससे सटकर बैठी हुई थी।

 

सार्जेंट सलीम कार को यूं ही शहर में दौड़ाता रहा। उस पर उदासी का जबरदस्त दौरा पड़ा था। ऐसा अकसर उसके साथ होता था। काफी देर वह कार को यूं ही इधर-उधर दौड़ाता रहा। एक स्टोर पर उसने कार रोक दी और अंदर चला गया। कुछ देर बाद वह वान गॉग का पाउच खरीद कर लौट आया। कार में बैठकर उसकी नजरें लूसी को तलाशने लगीं, लेकिन वह कहीं नजर नहीं आई। उसने कार की लाइट जलाकर देखा तो जंजीर तो मौजूद थी, लेकिन लूसी लापता थी। वह परेशान हो गया। लूसी उसे बहुत प्रिय थी।

 

सार्जेंट सलीम को बहुत गुस्सा आ रहा था। उसने यह हिमाकत की ही क्यों? क्यों लूसी को छोड़कर अकेले अंदर चला गया? वह काफी देर यूं ही कार में बैठा पाइप पीता रहा। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि लूसी को कहां तलाशे। मन पहले से ही उचाट था, लूसी के गायब होने से वह और ज्यादा उदास हो गया।

 

वह समंदर में चली गई

इस वक्त समुंदर के किनारे काफी भीड़ लगी हुई थी। सोने की थाल जैसा सूरज धीरे-धीरे पानी में डूब रहा था। हर कोई समुंदर की लहरों की तरफ देख रहा था। दूर तक सिर्फ पानी ही पानी था।

 

इन सबके बीच एक नौजवान दहाड़ें मार-मार कर रो रहा था। अजीब बात यह थी कि कोई उसे दिलासा देने वाला भी नहीं था। वह खड़े-खड़े ही रेत पर धड़ाम से बैठ गया और दोनों हाथों से सर पकड़कर सिसकियां लेने लगा।

 

कुछ देर बाद पुलिस आ गई। उसने उस पूरे एरिया से लोगों को हटा दिया। कोतवाली इंचार्ज मनीष लोगों से घटना के बारे में पूछताछ करने लगा।

 

तभी मनीष की नजर जमीन पर बैठे आदमी की तरफ पड़ी। वह बैठा शून्य को निहार रहा था। मनीष ने उससे कई सवाल किए, लेकिन वह टस से मस न हुआ। भीड़ में से किसी ने उसे बताया कि वह लड़की के साथ ही आया था। मनीष उसके नार्मल होने का इंतजार करने लगा।

 

कुछ देर बाद एक हेड कांस्टेबल लोगों के बयान दर्ज कर रहा था। कोतवाली इंचार्ज मनीष भी साथ ही खड़ा था।

 

साहब! मैंने दूर से देखा था। वह किसी हीरोइन सी सुंदर थी। वह डूबते हुए सूरज के साथ मोबाइल से फोटो खींच रही थी। उसके बाद वह धीरे-धीरे आगे बढ़ती चली गई। कुछ देर बाद एक ऊंची लहर में वह खो गई। जब तक कोई कुछ समझता उसका नामोनिशान नहीं था। गुब्बारा बेचने वाले एक चश्मदीद ने हेड कांस्टेबल को बताया।

 

किसी ने बचाने की कोशिश नहीं की?” मनीष ने पूछा।

 

साहब! यहां तो लोग समंदर के पानी में खेलते-कूदते रहते ही हैं। किसी को अंदाजा ही नहीं हुआ कि वह पानी के इतने अंदर चली जाएगी। जब तक कोई कुछ समझता वह लापता हो गई थी। गुब्बारे वाले ने तर्क दिया।

 

तुमने उसे कब देखा था?” मनीष ने पूछा।

 

साहब! यहां शाम को काफी भीड़ होती है, लेकिन वह बहुत सुंदर थीं, इसलिए हर कोई उसकी तरफ ही देख रहा था। मैंने उन्हें काफी दूर से देखा था। उस वक्त वह डूबते सूरज के साथ फोटो ले रहीं थीं। गुब्बारे वाले ने बताया।

 

तभी एक आदमी एक छोटी सी बच्ची के साथ मनीष के पास आकर कुछ बताने लगा। मनीष ने हेड कांस्टेबल से उसके बयान भी दर्ज करने को कहा।

 

मेरा नाम राजेश है। उस आदनी ने परिचय देते हुए बात जारी रखी, मैं एक कॉलेज में एसोसियेट प्रोफेसर हूं। यह मेरी बेटी है प्रिया। वह दोनों अपनी वैगन के पास कुर्सी डाले बैठे हुए थे। उसने वैगन की तरफ इशारा करते हुए कहा। वह रुक कर कुछ देर वैगन को ध्यान से देखने लगा।

 

फिर क्या हुआ?” मनीष ने उसे टोका।

 

ओह हां,राजेश ने चौंकते हुए कहा, मेरी बेटी ने उसे पहचान लिया था। वह फिल्म अभिनेत्री शेयाली थी। प्रिया सेल्फी के लिए जिद करने लगी। मैं जब उनके पास बेटी को लेकर पहुंचा तो उसके ब्वायफ्रैंड ने मुझे धक्के देकर वहां से भगा दिया। काफी बदतमीज और मगरूर आदमी है। प्रोफेसर राजेश रुक कर फिर वैगन की तरफ देखने लगा। प्रोफेसर राजेश बहुत गुस्से में लग रहा था। उसका चेहरा लाल हो रहा था।

 

फिर क्या हुआ?” मनीष ने पूछा।

 

शेयाली ने उसे रोकने की कोशिश भी की, लेकिन वह मुझे धमकियां देने लगा। प्रिया डर कर रोने लगी और मैं वहां से लज्जित होकर चला आया। राजेश ने बताया।

 

आप अपना पता और फोन नंबर नोट करा दीजिए। हो सकता है कि हमें आपकी जरूरत पड़े। मनीष ने प्रोफेसर राजेश से कहा।

 

तभी डायमंड ब्लैक कलर की घोस्ट आकर कुछ दूर पर रुकी। उसमें से इंस्पेक्टर सोहराब और सार्जेंट सलीम उतर कर मनीष के पास आ गए।

 

आप लोग!” मनीष ने दोनों को देखकर चौंकते हुए पूछा।

 

क्या मामला निकल कर सामने आया। इंस्पेक्टर सोहराब ने मनीष से हाथ मिलाते हुए पूछा।

 

वह नई फिल्म अभिनेत्री शेयाली थी। अपने ब्वायफ्रैंड के साथ मेकअप वैगन से यहां घूमने आई थी। उसका ब्वायफ्रैंड वैगन के पास ही बैठकर शराब पीने लगा और वह घुटनों तक पानी में खड़े होकर सनसेट के साथ सेल्फी लेने लगी। कुछ देर बाद ही वह गहरे पानी में उतरती चली गई। जब तक लोग कुछ समझ पाते, वह गहरे सागर में लापता हो गई थी।

 

उसका ब्वायफ्रैंड कहां है?” इंस्पेक्टर कुमार सोहराब ने समुंदर की तरफ देखते हुए मनीष से पूछा। उसके चौड़े माथे पर चिंता की गहरी लकीरें उभर आई थीं।

 

वह सदमे में है। कुछ बोल नहीं पा रहा था। मैंने उसे वैगन में ही बैठाल दिया है। मनीष ने बताया।

 

वैगन की निगरानी में दो कांस्टेबल तैनात कर दीजिए। कोई उससे बात न करने पाए। जब तक उसके बयान न दर्ज हो जाएं।इंस्पेक्टर सोहराब ने कहा।

 

मनीष ने दो कांस्टेबल वैगन की निगरानी के लिए तैनात कर दिए।

 

वह कहां डूबी थी?” इंस्पेक्टर सोहराब ने समुंदर को गहरी नजरों से देखते हुए सवाल किया।

 

मनीष ने उसे इशारे से बता दिया।

 

गोताखोर बुलाए हैं?” इंस्पेक्टर सोहराब ने दोबारा सवाल किया।

 

जी बस आते ही होंगे। मनीष ने बताया।

 

जल्दी कीजिए। कुछ देर बाद ही अंधेरा हो जाएगा। फिर बड़ी मुश्किल होगी। इंस्पेक्टर सोहराब ने चिंता भरे स्वर में कहा।

 

कुछ इंतजार के बाद भी जब गोताखोर नहीं आए तो इंस्पेक्टर कुमार सोहराब ने सार्जेंट सलीम को समुंदर के किनारे के पानी में तलाशी के लिए कहा।

 

सार्जेंट सलीम अच्छा तैराक था। नेशनल लेवल तक तैराकी में हाथ आजमा चुका था। कुछ देर बाद ही वह पानी में उतर गया। तमाम लोग उसकी तरफ ही देख रहे थे। कुछ लोग मोबाइल से वीडियो बनाने लगे।

 

बंद कीजिए यह तमाशा। इंस्पेक्टर सोहराब ने बहुत तेज आवाज में कहा, यहां किसी की जान चली गई है और आप लोगों तमाशा लग रहा है। बेहिसी की इंतेहा है यह। सोहराब बहुत गुस्से में था।

 

उसको गुस्से में देख कर पुलिस ने लोगों को लाठी फटकार कर दूर भगा दिया।

 

सार्जेंट सलीम पानी में लबीं-लंबी डुबकियां ले रहा था। अब वह ज्यादा गहरे पानी की तरफ जा रहा था। इंस्पेक्टर सोहराब बहुत ध्यान से उस पर नजरें गड़ाए हुए था। समुंदर की लहरें तेज हो गई थीं।

 

दस मिनट की गोताखोरी के बाद सार्जेंट सलीम बाहर आ गया। उसके हाथ में एक मोबाइल था।

 

तभी पास एक ट्रक आकर रुका। सभी का ध्यान उसकी तरफ हो गया। उसमें से कुछ गोताखोर उतर रहे थे। कुछ देर बाद रस्सी से बांधकर ट्रक के पीछे रखे स्टीमर को उतारा जाने लगा।

 

चार गोताखोर आए थे। उनके साथ कुछ मजदूर भी थे, जो स्टीमर उतारने में उनकी मदद कर रहे थे। कुछ देर बाद स्टीमर उतार लिया गया।

 

गोताखोरों ने पोशाक पहन ली थी और अब उनकी पीठ पर आक्सीजन सिलेंडर बांधा जाने लगा था। स्टीमर को पानी में डालकर स्टार्ट कर दिया गया। गोताखोर उस पर सवार हो गए थे। कुछ आगे जाने के बाद दो गोताखोरों ने पानी में छलांग लगाई और लड़की की तलाश शुरू हो गई।

 

सूरज ने भी पानी में डुबकी लगाई और फिर गायब हो गया। क्षितिज खून सा लाल दिख रहा था।

 

इंस्पेक्टर सोहराब गोताखोरों को देख रहा था। उसे कम ही उम्मीद थी कि शेयाली जिंदा बची होगी।

 

सार्जेंट सलीम ने कपड़े पहन लिए थे। उसने समुंदर से मिले मोबाइल को रूमाल से साफ कर दिया। काफी महंगा मोबाइल था। वाटर प्रूफ भी था। उसने मोबाइल के बटन को हल्के से पुश कर दिया। स्क्रीन ऑन होते ही वह बुरी तरह से चौंक गया। वह बहुत ध्यान से मोबाइल की स्क्रीन को देखे जा रहा था। उसकी बेचैनी बढ़ गई थी।


भाग दो

 

मारपीट

मोबाइल के वाल पेपर पर एक लड़की की फोटो थी। यह वही लड़की थी, जिसे सार्जेंट सलीम ने एक दिन पहले होटल सिनेरियो में देखा था। सार्जेंट सलीम के जेहन में कल का पूरा दृश्य एक झटके से आकर गुजर गया।

 

वह अचानक पानी के अंदर क्यों चली गई? क्या उसने खुदकुशी कर ली? या फिर कोई साजिश है? यह सवाल सार्जेंट सलीम के दिमाग में गूंजने लगे।

 

सार्जेंट सलीम की तंद्रा उस वक्त टूटी जब उसके कानों में सोहराब की आवाज गई। वह चौंक कर सोहराब की तरफ देखने लगा।

 

सोहराब कह रहा था, इस मोबाइल को लैब में भेजिए। इसकी सारी डिटेल्स निकलवाइये। फोटोग्राफ, कॉल डिटेल्स के साथ ही चैट हिस्ट्री भी।

 

ओके।

 

दोनों साथ खड़े होकर गोताखोरों को देखने लगे।

 

कल मैं शेयाली से मिला था। सार्जेंट सलीम ने धीरे से कहा।

 

इंस्पेक्टर सोहराब चौंक कर उसे देखने लगा।

 

क्या तुम उसे जानते थे?” सोहराब ने पूछा।

 

नहीं, लेकिन कल वह होटल सिनेरियो में थी। मेरे साथ ही बैठी थी। सलीम ने कहा।

 

उसके बाद उसने एक दिन पहले की पूरी दास्तान उसे सुना दी।

 

ओह!” इंस्पेक्टर सोहराब के मुंह से अनायास निकला। वह सिगार केस से एक सिगार निकालकर उसका कोना तोड़ने लगा। सिगार जलाने के बाद उसने दोबारा पूछा, दोनों के बीच केमिस्ट्री कैसी थी? मेरा मतलब है कि शेयाली के अपने ब्वायफ्रैंड के साथ कैसी केमिस्ट्री थी।

 

दोनों में अच्छी बॉन्डिंग थी। जब दोनों होटल से निकले थे तो एक-दूसरे का हाथ थाम रखा था। सार्जेंट सलीम ने कुछ सोचते हुए कहा,लेकिन एक अजीब बात थी... शेयाली ने ही उसका हाथ थामा था। उसके ब्वायफ्रैंड की पकड़ में कोई गर्मजोशी नहीं थी।

 

अंधेरा होने लगा था। स्टीमर पर लगी फ्लैश लाइट ऑन कर दी गईं। तलाशी अभियान अभी भी जारी था। यह तलाशी अभियान साहिल से पांच सौ मीटर रेडियस में ही किया जा रहा था। उससे आगे सर्च करना मुमकिन नहीं था।

 

इंस्पेक्टर कुमार सोहराब, सार्जेंट सलीम को लेकर मेकअप वैन की तरफ आ गया। यह काफी लंबी वैन थी। आम तौर पर फिल्म स्टार इसमें मेकअप के साथ ही आराम भी करते हैं।

 

इंस्पेक्टर सोहराब को देख कर रखवाली में लगे दोनों कांस्टेबलों ने सेल्यूट मारा।

 

फिंगर प्रिंट उठा लिए गए अंदर से?” सोहराब ने पूछा।

 

पास खड़े फिंगर प्रिंट स्क्वायड के हेड ने सामने आकर सैल्यूट मारा। उसके बाद उसने कहा, जी सर उठा लिए गए हैं।

 

सार्जेंट सलीम के पास शेयाली का मोबाइल है। देखिए उस पर से अगर फिंगर प्रिंट मिल सकें तो। हालांकि सार्जेंट सलीम ने मोबाइल पर से पानी साफ किया है तो मुश्किल ही है कि कुछ बचा हो!” इंस्पेक्टर सोहराब ने चिंताजनक स्वर में कहा।

 

वैन की खिड़की पर काली स्क्रीन लगी हुई थी। बाहर से अंदर कुछ भी नहीं दिख रहा था। सोहराब ने एक झटके में वैन का दरवाजा खोल दिया।

 

शेयाली का ब्वायफ्रैंड अंदर बैठा शराब पी रहा था। सोहराब गेट के बाहर खड़ा उसे देखता रहा। वह नया पैग बना रहा था। सोहराब उसके सामने कुछ ही दूरी पर खड़ा था, लेकिन एक बार भी उसने पलटकर सोहराब की तरफ नहीं देखा था। 

 

उसे बाहर उतारो। सोहराब ने निगरानी में लगे कांस्टेबल से कहा। वह दोनों वैन में चले गए और उससे नीचे उतरने को कहा।

 

यह वैन तुम्हारे बाप की नहीं है!” शेयाली का ब्वायफ्रैंड दहाड़ा।

 

उसकी दहाड़ सुनकर कांस्टेबलों को गुस्सा आ गया और वह उसे जबरदस्ती नीचे खींच लाए। इस हंगामेबाजी में शराब की बोतल वैन में गिर गई। उसे नीचे उतारने के बाद सोहराब वैन में चढ़ गया। उसने हाथों पर दस्ताने चढ़ा लिए थे। वह वैन की तलाशी लेने लगा।

 

तलाशी में सोहराब को कुछ खास नहीं मिला। उसने हर चीज का बड़ी बारीकी से मुआयना किया। वैन में मेकअप का सामान, परफ्यूम, विग जैसी चीजें थीं। कुछ ड्रेसेज भी थीं।

 

अचानक सोहराब का पैर सेंटर टेबल से टकरा गया। उसे दो आवाजें सुनाई दीं। एक पैर के टकराने की और एक हल्की सी आवाज अंदर से भी आई थी। उसने छोटी सी सेंटर टेबल को पलट दिया। नीचे एक ड्रार थी, जो सामने से नजर नहीं आती थी। ड्रार लॉक थी। उसने जेब से एक एक छोटा सा तार निकाला और ड्रार के लॉक में डालकर हिलाने लगा। कुछ देर की मशक्कत के बाद ताला खुल गया।

 

अंदर एक पिस्टल रखी हुई थी। इंस्पेक्टर सोहराब ने बहुत एहतियात से उसे उठा लिया। वह उसे उलट-पलट कर देखने लगा। इटली मेड काफी महंगी पिस्टल थी। सोहराब वैन से नीचे उतर आया। उसने पिस्टल पर से भी फिंगर प्रिंट लेने को कहा।

 

वैन की हेडलाइट्स जला दी गई थीं। वैन से दोनों कुर्सियां उतारकर करीब ही रख दी गईं। एक कुर्सी पर उसका ब्वायफ्रैंड बैठा हुआ था और उसके ठीक सामने सोहराब बैठा उसे बड़े ध्यान से देख रहा था। शेयाली के ब्वायफ्रैंड की गर्दन नीचे झुकी हुई थी।

 

आपका नाम क्या है?” सोहराब ने नर्म लहजे में उससे पूछा।

 

उसके ब्वायफ्रैंड ने कोई जवाब नहीं दिया।

 

सोहराब ने अपना सवाल दोहराया तो ब्वायफ्रैंड ने चीखते हुए कहा, तुम कौन होते हो मेरा नाम पूछने वाले!”

 

उसके इस जवाब पर सार्जेंट सलीम को गुस्सा आ गया और उसने उसको गिरेबान से पकड़कर उठा लिया। जवाब में उसने सार्जेंट सलीम पर हाथ छोड़ दिया। सार्जेंट सलीम इसके लिए शायद पहले से ही तैयार था। उसने झुकाई देकर वार खाली जाने दिया। तब तक दोनों कांस्टेबलों ने शेयाली के ब्वायफ्रैंड को पकड़कर जबरदस्ती कुर्सी पर बैठा दिया। वह सार्जेंट सलीम को गुस्से में गंदी-गंदी गालियां देने लगा।

 

यह क्या बेहूदगी है सलीम! तुम देख नहीं रहे कि उसने अपनी प्रेमिका को खो दिया है। इसके साथ ही वह नशे में भी है। तुमसे ऐसी अहमकाना हरकत की उम्मीद नहीं थी। दूर हटो!” इंस्पेक्टर सोहराब ने सार्जेंट सलीम को तेज आवाज में डांटा।

 

खुदकुशी या साजिश

 

अभी यह बातें हो ही रही थीं कि एक कार पास ही आकर रुकी और उसमें से दो मर्द और एक लड़की उतर कर तेजी से शेयाली के ब्वायफ्रैंड के पास आकर रुक गए।

 

आप लोगों की तारीफ?” इंस्पेक्टर सोहराब ने नर्म लहजे में पूछा।

 

हम लोग शेयाली मैम के असिस्टेंट हैं। लड़की ने जवाब दिया।

 

इंस्पेक्टर सोहराब तीनों को लेकर वहां से दूर चला गया। वह नर्म रेत पर उन तीनों के साथ चहलकदमी करते हुए उनके कामकाज, वर्क कल्चर और फिल्म इंडस्ट्री के बारे में बात करता रहा। बात करते-करते वह लोग काफी आगे निकल गए।

 

एक जगह रुक कर सोहराब ने अचानक लड़की से पूछ लिया, क्या शेयाली खुदकुशी कर सकती है?”

 

नो सर!” लड़की ने तुरंत ही जवाब दिया, वह बहुत मजबूत और जिंदादिल इंसान थीं। शेयाली मैम खुदकुशी कभी नहीं कर सकतीं।

 

क्या उन्हें किसी से जान का खतरा था?” सोहराब ने यह सवाल साथ आए युवक से पूछा।

 

सर, वह फिल्म एट्रेस थीं। उनके प्रोफेशनल राइवल तो बहुत सारे हैं, लेकिन कोई उनकी जान ले सकता है.... ऐसा लगता नहीं है। युवक ने जवाब दिया।

 

आप लोगों को घटना के बारे में कैसे पता चला?” सोहराब ने साथ आए दूसरे युवक से पूछा।

 

सर, श्रेया ने टीवी पर न्यूज देखी थी। उसी ने हम दोनों को इन्फार्म किया। उसने लड़की की तरफ इशारा करते हुए कहा।

 

आओ वापस चलते हैं। सोहराब ने पलटते हुए कहा।

 

कुछ दूर चलने के बाद अचानक से वह फिर रुक गया। जैसे पैर में कुछ चुभ गया हो। हालांकि उसने गेंडे की खाल से बने मजबूत जूते पहन रखे थे। वह तीनों भी रुक गए। सोहराब ने सीधे होते हुए लड़की से पूछा, शेयाली के अपने ब्वायफ्रैंड से कैसे रिश्ते थे?”

 

सर, वह विक्रम सर को बहुत चाहती थीं। हमेशा उनके साथ ही घूमने जाती थीं, लेकिन विक्रम सर.... अचानक श्रेया खामोश हो गई।

 

सोहराब ने देख लिया था कि साथ आए एक युवक ने उसे कोहनी मारी थी।

 

लेकिन क्या?” सोहराब ने उसे टोका।

 

कुछ नहीं सर!” लड़की ने जवाब दिया, मैं यह कह रही थी कि लेकिन विक्रम सर बहुत बिजी रहते हैं।

 

उसके इस जवाब पर सोहराब मुस्कुराये बिना नहीं रह सका।

 

कुछ देर बाद वह चारों लौट आए।

 

आप विक्रम को ले जा सकते हैं। जब तक उनके बयान नहीं हो जाते वह पुलिस की निगरानी में रहेंगे। सोहराब ने कहा।

 

सोहराब और सार्जेंट सलीम वहां से कोतवाली इंचार्ज मनीष के पास आकर खड़े हो गए। अंधेरा काफी गहरा हो गया था। तलाशी अभियान को रोका जा चुका था। शेयाली का कुछ भी पता नहीं चल सका था। धीरे-धीरे साहिल पर तमाशबीन बने लोग भी चले गए। हर तरफ मौत का सा सन्नाटा था।

 

शेयाली की मौत का असर सार्जेंट सलीम पर भी हुआ था। उसे जवान और खूबसूरत लड़कियों की मौत का हमेशा ही सदमा होता था।

 

इंस्पेक्टर सोहराब ने मनीष से फिंगर प्रिंट रिपोर्ट और लोगों के बयानात ऑफिस पहुंचाने को कहा। इसके बाद दोनों घोस्ट पर सवार हो गए। कार एक झटके से आगे बढ़ गई। घोस्ट को सार्जेंट सलीम चला रहा था। कुछ ही सेकेंड में कार ने तेज स्पीड पकड़ ली।

 

आपको क्या लगता है, शेयाली ने खुदकुशी की है?” कुछ देर की खामोशी के बाद सार्जेंट सलीम ने कुरेदा।

 

इतनी जल्दी नतीजे नहीं निकाले जाते। अगर आप पहले से नतीजे निकालकर तहकीकात करेंगे तो हमेशा गलत नतीजे निकलने का खतरा बना रहता है। सोहराब ने सिगार जलाते हुए कहा, तहकीकात हमेश फैक्ट्स और लॉजिक के सहारे आगे बढ़ती है।

 

उस लड़की और दोनों नौजवानों से क्या पता चला।सार्जेंट सलीम ने पूछा।

 

कुछ खास नहीं। सोहराब ने कार के शीशे से बाहर देखते हुए कहा।

 

लड़की का ब्वायफ्रैंड बहुत घमंडी आदमी है। सार्जेंट सलीम ने बाद बदलते हुए कहा।

 

तुम्हें उससे उलझना नहीं चाहिए था। सोहराब ने उसे टोका।

 

वह आपसे बदतमीजी कर रहा था। सार्जेंट सलीम ने सफाई देते हुए कहा।

 

फिर भी तुम्हारा तरीका गलत था। वह शराब के नशे में था। सोहराब ने जवाब दिया।

 

गाड़ी को ऑफिस लैब की तरफ लेते हुए चलना।सोहराब ने कहा।

 

क्यों?”

 

मोबाइल देना है।

 

ओह हां।

 

इसके बाद खामोशी छा गई।

 

कुछ देर बाद कार शहर की सीमा में दाखिल हो गई। घोस्ट जीरो रोड से टर्न लेकर खुफिया विभाग की लैब की तरफ बढ़ चली। खुफिया महकमा कई एकड़ में फैला हुआ था। यह शहर के बाहरी छोर पर स्थित था। महकमे के अहाते में काफी हरियाली थी। या यूं कहें कि एक पूरा जंगल आबाद था तो गलत नहीं होगा। अंदर एक कृत्रिम झील भी थी। जिसमें पंप से पानी भरा जाता था। इसी झील के पास लैब थी। लैब में 24 घंटे काम होता रहता था। 

 

कुछ देर बाद घोस्ट महकमे के गेट पर आकर रुक गई। सोहराब और सार्जेंट सलीम ने कार से उतर कर आंखों की रेटिना की स्क्रीनिंग कराई। इसके बाद बायोमेट्रिक मशीन पर फिंगर लगाने के बाद आटोमेटिक गेट खुल गया।

 

लैब में मोबाइल देने के बाद दोनों गुलमोहर विला की तरफ रवाना हो गए।

 

सार्जेंट सलीम अब सोहराब की कोठी गुलमोहर विला में ही रहने लगा था। सोहराब की ख्वाहिश पर ऐसा हुआ था। कई बार सार्जेट सलीम की तुरंत जरूरत पड़ती थी तो फिर उसके इंतजार में काफी वक्त खराब होता था।

 

सार्जेंट सलीम के आने से कोठी में अकसर धमाचौकड़ी होती रहती थी। घर के नौकर भी बहुत खुश रहते थे। इसकी वजह थी कि सोहराब काफी कम बोलता था। इसके उलट सलीम काफी बातूनी था।

 

कार की नंबर प्लेट को स्क्रीन करने के बाद गेट अपने आप खुल गया। सोहराब को बहुत ताज्जुब हुआ कि अभी तक शेप खोली नहीं गई थी।

 

इंस्पेक्टर कुमार सोहराब ने लोमड़ी और अलसेशियन कुत्ते के मेल से नई नस्ल बनाई थी। इसका नाम उसने शेप रखा था। शेप की आंखें पीली और दांत लंबे और तीखे थे। यह अलसेशयिन से पांच गुना ज्यादा ताकतवर थी।

 

सोहराब को नौकरों पर गुस्सा आने लगा। उसके सख्त आदेश थे कि सूरज डूबने के बाद शेप को खोल दिया जाए। उसके पास सात शेप थीं। इनमें से रोटेशन में तीन-तीन शेप को हर दिन कैंपस की निगरानी के लिए खोला जाता था।

 

पोर्च में पहुंचने के बाद उसे एक कार खड़ी नजर आई। काफी महंगी कार थी। इस वक्त रात के दस बज रहे थे। सोहराब को ताज्जुब हुआ कि इस वक्त कौन आ सकता है भला।

 

वह कोठी की सीढ़ियां चढ़ते हुए जब ड्रा?

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